Waxing and threading which technique is better for eyebrow shaping

चेहरे की खूबसूरती में आइब्रो एक बहुत इंपोर्टेंट रोल प्ले करती हैं. सही शेप की भौंहें आपके चेहरे को बैलेंस देती हैं, आंखों को हाईलाइट करती हैं और ओवरऑल लुक को शार्प बनाती हैं. आजकल ग्रूमिंग का क्रेज हर उम्र की महिलाओं में है. ऐसे में आइब्रो शेपिंग भी ब्यूटी रूटीन का एक अहम हिस्सा बन चुका है. महिलाएं पार्लर जाकर आइब्रो की शेप बनवाने के लिए थ्रैडिंग का और वैक्सिंग का सहारा लेती हैं. ये दोनों ही तकनीक आजकल काफी पॉपुलर है.

अब सवाल ये आता है कि आइब्रो की शेपिंग के लिए कौन-सा तरीका ज्यादा बेहतर है थ्रेडिंग या वैक्सिंग? दोनों ही तकनीकें आम हैं, लेकिन इनका प्रोसेस और स्किन पर असर अलग-अलग होता है. कुछ लोग थ्रेडिंग को पुराने और भरोसेमंद ऑप्शन के तौर पर देखते हैं, तो वहीं कुछ लोग वैक्सिंग को मॉडर्न और जल्दी निपट जाने वाला तरीका मानते हैं. आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि थ्रेडिंग और वैक्सिंग दोनों में क्या अंतर है? किसके क्या फायदे और नुकसान हैं और आपकी स्किन टाइप और जरूरत के हिसाब से कौन सा तरीका आपके लिए बेहतर है.

थ्रेडिंग (Threading) क्या है?

थ्रेडिंग यानी धागे से अनचाहे बाल हटाने वाला प्रोसेस है. इसमें एक पतला कॉटन का धागा ट्विस्ट करके बालों की जड़ों से उन्हें निकाला जाता है. ये तरीका काफी पुराना है जो खासतौर पर भारत, मिडिल ईस्ट और एशियन कंट्रीज़ में पॉपुलर रहा है.

थ्रेडिंग के फायदे: थ्रेडिंग में थ्रेड से बालों को एक-एक करके हटाया जाता है, जिससे बहुत बारीकी से शेपिंग की जा सकती है. बिना किसी कैमिकल या प्रोडक्ट के किया जाता है, इसलिए स्किन फ्रेंडली है. साथ ही सेंसिटिव स्किन के लिए सेफ ऑप्शन माना जाता है.

थ्रेडिंग के नुकसान: हालांकि इसके कुछ नुकसान भी हैं. जैसे पहली बार कराने पर दर्द महसूस हो सकता है. कुछ लोगों की स्किन पर हल्की रेडनेस या सूजन हो सकती है, लेकिन ये थोड़ी देर में ठीक हो जाती है. धागा खिंचाव की वजह से अगर गलत तरीके से यूज़ हो तो पिंपल्स या रैश हो सकते हैं.

वैक्सिंग (Waxing) क्या है?

वैक्सिंग में गर्म या कोल्ड वैक्स को स्किन पर लगाया जाता है और फिर एक स्ट्रिप की मदद से अनचाहे बालों को एक झटके में हटाया जाता है. आइब्रो वैक्सिंग को आमतौर पर जल्दी और स्मूद रिजल्ट के लिए चुना जाता है. ये तकनीक आजकल काफी पॉपुलर हो रही है.

वैक्सिंग के फायदे: थ्रेडिंग की कंपेरिजन वैक्सिंग में दर्द कम होता है . स्किन की ऊपरी लेयर पर मौजूद डेड स्किन सेल्स भी हट जाते हैं, जिससे स्किन स्मूद लगती है. ग्रोथ धीरे होती है और बाल भी मुलायम आते हैं.

वैक्सिंग के नुकसान: सेंसिटिव स्किन पर जलन, रैशेज या ब्रेकआउट्स हो सकते हैं. वैक्सिंग के दौरान स्किन पर खिंचाव ज्यादा होता है, जिससे स्किन लूज पड़ सकती है. गरम वैक्स अगर ज्यादा गर्म हो तो स्किन को नुकसान पहुंचा सकती है. साथ ही बहुत बारीक शेपिंग इसमें मुश्किल हो सकती है.

कौन-सा तरीका है बेहतर?

अगर आपकी स्किन बहुत सेंसिटिव है या आपको दर्द से ज्यादा दिक्कत नहीं है, तो थ्रेडिंग आपके लिए बेस्ट है. वहीं, अगर आप चाहती हैं कि बाल थोड़ी देर से उगें और प्रोसेस जल्दी हो, तो वैक्सिंग अच्छा ऑप्शन हो सकता है. थ्रेडिंग ज्यादा प्रिसाइज और शेपिंग के लिए सुटेबल है, जबकि वैक्सिंग स्मूद फिनिश के लिए ज्यादा अच्छी है.

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